बरसो बनकर रहा हमसफ़र ''मधुर''
और आज फिर
मेरे पैरो पर
घडी लगायी जा रही है .....!
जब सावन आया तो मुझे
प्यासा रखा ,
जलिसे जर दोस्त पर
पैसो की झड़ी लगायी जा रही है ...!
आग लगी है ,
दिल -ए -शहर जलेगा ,
यु ही बेवजह
कड़ी पे कड़ी लगायी जा रही है ........!
शहर जनता है हुनर ,
हमारें ''मधुर'' हाथो का ।
देखते है कैसे मख लिश को
हथकड़ी लगायी जा रही है ..........!
मधुकर ''मधुर''
जलिसे =मख्खन बाज ,जर दोस्त = आस पास बैठने वाले
मख लिश = बिरोध करने वाला